पिछले कटु अनुभ्ावों से सबक लेते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इस विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी में अपनी प्रतिष्ठा एक बार फिर कायम करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं।
अपने प्रयासों के प्रथम चरण में पार्टी स्व. पंडित लोकमणि शर्मा के पुत्र कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' को शामिल करने जा रही है।
15 मई को जुबली पार्क में एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, कृष्ण कुमार शर्मा को विधिवत् पार्टी में शामिल करेंगे।
कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' का अपना राजनीतिक सफर हालांकि बहुत लम्बा नहीं रहा लेकिन राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता स्व. पंडित लोकमणि शर्मा से लेकर उनके बड़े भाई पंडित श्यामसुंदर शर्मा तक ने राजनीति में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया।
कृष्ण कुमार शर्मा ने गत विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी की हैसियत से भाग लिया था और सपा के लिए अपने बूते पर सर्वाधिक मत अर्जित किये जबकि यह उनका पहला चुनाव था।
बताया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी को आगामी विधान सभा चुनावों के लिए कुछ ऐसे कद्दावर चेहरों की तलाश थी जो इस विश्व प्रसिद्ध धार्मिक जनपद में उसकी खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुन: स्थापित करने का माद्दा रखते हों क्योंकि गत विधानसभा चुनावों में पार्टी की काफी किरकिरी हो चुकी है।
पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' को शामिल करने का मकसद उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में शहर से या गोवर्धन क्षेत्र से लड़ाना है क्योंकि इन दोनों ही चुनाव क्षेत्रों में ब्राह्मण मतदाताओं की खासी तादाद है। इसके अलावा मथुरा-वृंदावन विधान सभा क्षेत्र से भाजपा ने रासाचार्य स्वामी रामस्वरूप शर्मा के बाद न तो किसी ब्राह्मण नेता को चुनाव लड़ाया और ना कोई दूसरा प्रत्याशी चुनाव जीता।
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने शायद यह जान लिया है कि यदि मथुरा जैसे धार्मिक जनपद में पार्टी को अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा हासिल करनी है तो ऐसे चेहरों को सामने लाना होगा जो न केवल जुझारू हों बल्िक जिनमें पार्टी के असंतुष्ट लोगों को भी साथ लेकर चलने की काबलियत हो।
इसके अलावा कृष्ण की नगरी में खेमों में बंटे हुए भाजपाइयों को बिना किसी टकराव व अहम् भाव के यह संदेश दे सकें कि वह उनके प्रतिद्वंदी नहीं, सहयोगी हैं और पार्टी तथा उनका मान-सम्मान सर्वोपरि मानते हैं।
कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' का नाम भाजपा की इसी मंशा के चलते सामने आया है। यह बात दीगर है कि शुरूआती दौर में पार्टी के कुछ लोगों को उनका प्रवेश नागवार गुजरे लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं को उम्मीद है कि कुछ दिनों के अंदर ही वो समझ जायेंगे कि जो निर्णय लिये जा रहे हैं, वह सब के हित में हैं।
हो सकता है कि निकट भविष्य में पार्टी ऐसे कई चेहरों को और सामने लाये तथा कई ऐसे निर्णय ले जो सामान्यत: चौंकायेंगे लेकिन अंतत: पार्टी का मकसद मथुरा जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक जनपद में वो मुकाम हासिल करना है जो कभी यहां कायम था लेकिन सभी को खुश रखने की कुछ नेताओं की नीति के कारण छिन गया।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय इकाई में मुन्ना भइया का नाम सामने आने पर चर्चाओं का दौर तो शुरू हो चुका है पर मुन्ना भइया को पार्टी में शामिल करने पर ये लोग टिप्पणी करने से बच रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने केवल इतना कहा कि जब कोई कुछ कहता ही नहीं तो हम ही सामने क्यों आयें।
इन लोगों का कहना था कि पिछले विधानसभा चुनावों में मुरारी अग्रवाल को टिकट दिये जाने का लगभग सभी ने एक स्वर से विरोध किया लेकिन किसी की एक नहीं चली और आखिर मुरारी अग्रवाल को चुनाव लड़ाया गया।
इसी प्रकार लोकसभा चुनावों में मथुरा की सीट राष्ट्रीय लोकदल को दिये जाने का भी भारी विरोध हुआ परन्तु नतीजा रालोद के पक्ष में ही गया। इन सभी भाजपाइयों के मुताबिक ऐसे में वह क्यों मुन्ना भइया का विरोध करें।
इन लोगों का यह भी कहना था कि दो बार भाजपा की टिकट पर एक बाहरी व्यक्ित सच्चिदानंद हरि साक्षी यहां से चुनाव जीता लेकिन उसने मथुरा के लिए कुछ नहीं किया। फिर चौधरी तेजवीर सिंह तीन बार भाजपा के सांसद रहे लेकिन वह गुटखा खाकर थूकने तक सीमित रहे और इस बार पार्टी ने अपने मतदाता रालोद के युवराज को सौंप दिये जिसने जीतने के बाद भाजपाइयों की ओर आंख उठाकर देखना भी जरूरी नहीं समझा।
इन भाजपाइयों का कहना है कि कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' कम से कम न तो साक्षी व जयंत की तरह बाहरी हैं और न तेजवीर की तरह निष्क्रिय। वह जमीनी नेता हैं और राजनैतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं लिहाजा कार्यकर्ताओं की अहमियत का उन्हें भली प्रकार अंदाज है।
इन लोगों ने ये भी कहा कि कुछ पार्टीजन अपने राजनीतिक भविष्य से चिंतित होकर अंदर ही अंदर विरोध कर जरूर रहे हैं परन्तु उनके विरोधी स्वरों में दम की जगह हताशा अधिक दिखाई दे रही है।
source: मथुरा (लीजेण्ड न्यूज)