Thursday, June 24, 2010

Jai Shri Parsuram




"प्रभु परशुराम की महिमा"

भारत वर्ष की धरती पर, प्रभु ने षष्ठम् अवतार लिया |
भक्तों की रक्षा करने को, प्रभु ने फरसा थाम लिया ||

त्रेता युग में तुम थे जन्मे, भृगु के पौत्र कहाये थे |
जमदग्नि-रेणुका के थे जाये, ऋषि-कुल में तुम आये थे ||

प्रसेनजित के पुण्य थे पाए, शिव जी से था फरसा पाया,
कामधेनु का दुग्ध पिया था, माँ के आँचल की थी छाया |

कामधेनु का दर्शन करके, हैहय-राजा था ललचाया |
ऋषि के ना करने पर उसने, कामधेनु का हरण कराया ||

पुरुषोत्तम लौटे जब आश्रम, सहस्त्रार्जुन को था ललकारा |
सहस्त्र भुजाएं करके खंडित, सैन्य सहित उसको संहारा ||

अनुपस्थिति में परशुराम की, अर्जुन-पुत्र वहाँ था आया |
और अकेले ऋषि को पाकर, जमदग्नि का वध करवाया ||

प्रतिशोध में पिता के आकार, हैहय क्षत्रिय सब संहारे |
पापमुक्त कर दिया धरा को, सहस्त्रबाहु गया प्रभु के द्वारे ||

सर्वोपरि है पिता की आज्ञा, युद्ध-नीति विधि ज्ञाता हैं |
प्रभू-भक्त ब्राह्मण समाज के, ये तो भाग्य विधाता हैं ||

शिव-धनुष टंकार सूनी जब, तुरतहिं रक्षा को थे धाये |
सिया-स्वयंवर में थे पहुंचें, सप्तावतार के दर्शन पाए ||

सीता को आशीष दिया ये, सुख-सौभाग्य सदा ही पाओ |
श्रीराम संग सदा बिराजो, पतिव्रता तुम सदा कहाओ ||

शिष्य भीष्म और द्रोण तुम्हारे, कर्ण को था सब ज्ञान दिया |
अपने जीवन काल में तुमने, प्रभु भक्तों को मान दिया ||

रक्षा में ब्राह्मण की तुमने, सारा जीवन लगा दिया |
अब भी आवश्यकता है तुम्हारी, सबने तुमको याद किया ||

कल्कि पुराण कहे ये प्रभुजी, दशम अवतार में आयेंगे |
तुम्हीं गुरु होगे उन प्रभु के, तुम्हीं से शिक्षा पाएंगे ||

भगवन परशुराम की महिमा, जगत में जो भी गायेगा |
सरस्वती की कृपा रहेगी, सदा मान वो पायेगा |