समझ नहीं आ रहा कि लोग इतना सब दिखने के बाद भी इन क्षेत्रीय पार्टियों को चुनते है, कही न कही क्षेत्र के विकास के नाम पर देश की समूचे विकास में रास्ते में कही न कही रोड़ा बन ही जाती है, खुद के निजी विकास के आगे कुछ पार्टिया देश को विकास को पीछे छोड़ देती है, लेकिन आज देश और संसद साथ दिखाई दिए लेकिन फिर भी साचा लोकतंत्र हार ही गया, सबसे पहले इस लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में ही बदलाव की आवशकता है, आप सभी क्या कहते है ????