आज सुबह जब मैंने टीवी चालू किया तो दिखा की माननीय श्री अजमल कसब जी को फांसी दे दी गयी जैसे किसी समय में अंग्रेजो ने सरदार भगत सिंह को दी थी एक दम चुप चाप बिना किसी को पता लगे दिए, आज आतंकवाद से लड़ रहे देश में दिन दहाड़े मौत का खेल खेलने वाले को इतनी गोपनीयता से फंसी सिर्फ इसलिए दी गयी क्यूंकि वो एक पार्टी के विशेष वोट बैंक के धर्म से है, ये तो अच्छा है की वो कम से कम पाकिस्तानी था वरना अफज़ल गुरु की तरह भारतीय वोट बैंक का होता तो शायद ये भी और कई सरकारों तक हमारे मेहमान बने रहते, मेरी समझ नहीं आ रहा की इतने बड़े दिन पर खुश हूँ या दुखी।
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