तू नहीं तो मेरा ये साज श्रींगार किस लिए
मेरा यूँ आईने में अपने आप को देखना किस लिए
तेरा न आना तो मेरा ये इंतज़ार किस लिए
मुंडेर पर आँखें बिछाना किस लिए
शायद आज भी दिल में एक आस है
हर सुबह एक उम्मीद की किरण का उजास है
दिल कहता है की तुम आओगे ज़रूर
न आये तो हमारा इंतज़ार करना किस लिए....
मेरा यूँ आईने में अपने आप को देखना किस लिए
तेरा न आना तो मेरा ये इंतज़ार किस लिए
मुंडेर पर आँखें बिछाना किस लिए
शायद आज भी दिल में एक आस है
हर सुबह एक उम्मीद की किरण का उजास है
दिल कहता है की तुम आओगे ज़रूर
न आये तो हमारा इंतज़ार करना किस लिए....
No comments:
Post a Comment