Tuesday, February 14, 2012

किस लिए

तू नहीं तो मेरा ये साज श्रींगार किस लिए
मेरा यूँ आईने में अपने आप को देखना किस लिए
तेरा न आना तो मेरा ये इंतज़ार किस लिए
मुंडेर पर आँखें बिछाना किस लिए
शायद आज भी दिल में एक आस है
हर सुबह एक उम्मीद की किरण का उजास है
दिल कहता है की तुम आओगे ज़रूर
न आये तो हमारा इंतज़ार करना किस लिए....

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